बस्ती। श्रीमद् भागवत कथा हमे जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीमद् भागवत कथा हमे मोक्ष प्रदान करती है। भागवत कथा की सार्थकता तभी सिद्व होती है जब इसे हम अपने ब्यवहारिक जीवन में उतारते हैं। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन मात्र बनकर रह जाती है। भागवत कथा श्रवण से मन का शुद्विकरण तो होता ही है इससे संशय भी दूर हो जाता है और मन को शान्ती मिलती है। ईश्वर से सम्बंध जोड़कर हम हमेंशा के लिए उन्हें अपना सकते है। भागवत कथा कल्प बृक्ष के समान है।


कथा वाचक आचार्य रवि शंकर तिवारी ने प्रवचन सत्र में व्यक्त किया। दुबौलिया विकासखंड के ग्राम पंचायत छपिया (टिकरिया महुलानी) में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन ब्यास पीठ से श्रद्धालुओं को भागवत कथा की महत्ता पर प्रकाश डाल रहे थे। उन्होने कहा कि राजा परीक्षित ने लोक कल्याण के लिए श्री शुकदेव जी से प्रश्न किया कि म्रियमाण ब्यक्ति का क्या कर्तब्य है। भयग्रस्त प्राणी को मृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए परमात्मा के शरण मे रहकर उनके महिमा गुणगान करना चाहिए । इससे भगवान के स्वाभाव व स्वरुप का ज्ञान होता है ।
कथा के मुख्य यजमान जगदीश चौधरी सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।