वन नेशन, वन इलेक्शन एक लोकतांत्रिक दिशा में क्रांतिकारी कदम – हरीश द्विवेदी

वन नेशन, वन इलेक्शन एक लोकतांत्रिक दिशा में क्रांतिकारी कदम – हरीश द्विवेदी
वन नेशन, वन इलेक्शन पर आयोजित प्रबुद्ध समागम में लोकतांत्रिक सुधारों पर हुआ मंथन

बस्ती। उर्मिला एजुकेशन एकेडमी रोडवेज बस्ती में वन नेशन, वन इलेक्शन विषय पर एक प्रबुद्ध समागम का आयोजन किया गया, जिसमें लोकतंत्र से जुड़ी इस महत्वपूर्ण अवधारणा पर विस्तार से चर्चा हुई।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में असम राज्य प्रभारी व पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी ने विचार साझा किए।
निष्कर्षतः यह प्रबुद्ध समागम “वन नेशन, वन इलेक्शन” जैसे विचारशील मुद्दे पर संवाद और समझ का एक सशक्त मंच बना। वक्ताओं ने विश्वास व्यक्त किया कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता का समर्थन मिले तो यह विचार देश के लोकतंत्र को नई दिशा देने में सक्षम होगा।
हरीश द्विवेदी ने कहा, “भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में बार-बार चुनावों से न केवल विकास बाधित होता है, बल्कि आर्थिक और प्रशासनिक संसाधनों पर भी अत्यधिक दबाव पड़ता है। वन नेशन, वन इलेक्शन एक ऐसा कदम है जो राष्ट्र की एकता, स्थिरता और सुशासन को मजबूती प्रदान कर सकता है। यह केवल एक चुनावी व्यवस्था नहीं, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल हो सकती है।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा जिलाध्यक्ष विवेकानन्द मिश्र ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “एक राष्ट्र, एक चुनाव देश के संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ राजनीतिक पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगा। इससे जनता बार-बार के चुनावी प्रचार से मुक्त होगी और देश एकजुट होकर आगे बढ़ेगा।”
अभियान के समन्वयक और पूर्व जिलाध्यक्ष पवन कसौधन ने विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा, “यह विचार केवल एक सुझाव नहीं, बल्कि एक जरूरी सुधार है। यदि हम विकास की गति को बनाए रखना चाहते हैं, तो राजनीतिक स्थिरता आवश्यक है और उसके लिए चुनाव प्रणाली में परिवर्तन समय की मांग है।”
कार्यक्रम में वक्ताओं ने सुझाव दिया कि इस प्रणाली को लागू करने से पूर्व एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं। साथ ही एक सर्वदलीय समिति बनाकर सभी राजनीतिक दलों से व्यापक चर्चा कर आम सहमति बनाई जाए। संविधान में आवश्यक संशोधन कर इसे कानूनी रूप देने की प्रक्रिया भी प्रस्तावित की गई।
इस मौके पर डा अनिल मौर्या, प्राचार्य बृजेश पासवान, डा विरेन्द्र त्रिपाठी, डा वीके श्रीवास्तव, धीरेन्द्र शुक्ल, जगदीश अग्रहरी, मयंक श्रीवास्तव, सरदार आतमजीत सिंह, आचार्य चौथीराम विश्वकर्मा, सिद्धांत सिंह, शालिनी मिश्र, गीता गुप्ता, निर्मला श्रीवास्तव, संध्या दीक्षित सहित अधिवक्ता, चिकिस्क, एनजीओ प्रतिनिधि, व्यापारी, साहित्यकार बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों के लोग मौजूद रहे।

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