शिक्षा मित्र समेत शिक्षक तीन बच्चे शून्य जिम्मेदार कौन

शिक्षा मित्र समेत शिक्षक तीन बच्चे शून्य जिम्मेदार कौन बनकटी ब्लाक के प्राथमिक स्कूल खड़ौहां का मामला
बनकटी – बस्ती
परिषदीय स्कूलों में जिला प्रशासन का कोई नियन्त्रण नहीं है। जहां तैनात शिक्षकों की मनमानियां सिर चढ़कर बोल रही है। जिसका कोई माई बाप नहीं दिखाई दे रहा है। बनकटी ब्लाक का परिषदीय प्रा.स्कूल खड़ौहां एक बानगी के रूप में प्रस्तुत हैं।
मंगलवार को प्रेस टीम ने प्राथमिक स्कूल खड़ौंहां में पहुंच कर देखा तो शिक्षा मित्र राकेश उपाध्याय और रसोइया रीना के अलावा एक अन्य व्यक्ति स्कूल में मौजूद था। जिसके बारे में पता चला कि वे स्कूल में तैनात महिला प्रधानाध्यापक बिनीता अहूजा के पति हैं जो कभी कभार स्कूल आकर अपने गैरहाजिर पत्नी को उपस्थित पंजिका में हाजिर करने से भी नहीं चूकते। जिसका उन्हें कोई हक हासिल नहीं है। फिर भी उनके इस मामले का कोई विरोध करने का साहस नहीं करता। यह भी पता चला है कि विनीता के पास एक विकलांग बच्चा है जिसके परवरिश व देखभाल के नाम पर अपने शैक्षिक दायित्वों का पालन करने की बजाय अपनी विवशता दर्शा कर स्कूल आने से परहेज करने में पीछे नहीं हैं। आरोप है कि बिनीता हफ्ते में एक से दो दिन मुश्किल से लेट लपेट ही आकर व्यवस्था का माखौल उड़ा रही है। इन्हीं के पद चिन्हों के अनुगामी यहां पर तैनात सहायक शिक्षक आदित्य नाथ त्रिपाठी भी बताये जाते हैं। जब कि शिक्षा मित्र स्थानीय होने के नाते लोक लाज के वशीभूत होकर अपना दायित्व तो निभाते देखें जाते हैं।
अब सवाल उठता है कि प्रतिमाह एक मोटी रकम वेतन लेने वाला शिक्षक बेलगाम क्यों है ? कहीं विभाग के अधिकारियों को गैरजिम्मेदाराना रवैया अख्तियार करने वाले शिक्षकों ने मैनेज तो नहीं कर लिया है ?.यदि ऐसा नहीं है तो वर्षों से ड्यूटी करने में लापरवाही करने वाले शिक्षक आज तक विभाग के कार्यवाही के जद में क्यों नहीं आये ?.जबकि अफसोस तो यह है कि इन्हीं दोनों गैरजिम्मेदार शिक्षकों के चलते पिछले नवम्बर दिसम्बर में अध्ययनरत स्कूल के कुल 23 बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। क्या यही विभाग का प्रवेक्षण है ? फिर भी विभाग के जिम्मेदार मूकदर्शक की मुद्रा में हैं। जो परिषदीय शिक्षा पर सरकार के पानी की तरह धन खर्च करने के बाद भी व्यवस्था को सुधारने में नक्कारा साबित हो रहे हैं। ऐसे कामचोर शिक्षकों की बनकटी ब्लाक में भरमार बताई जा रही है।
सम्पूर्ण आरोपों के मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनूप कुमार से विभाग का पक्ष जानने का अनेक बार प्रयास तो किया गया लेकिन वे काल रिसीव करने से परहेज करते रहे। जो उनके आदत में शामिल हैं।

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