ग्राम पंचायत चुनावों में ‘बरसाती मेंढकों’ की राजनीति: नारंग पट्टी गांव की पीड़ा, राघवेंद्र त्रिपाठी_______


गोरखपुर जनपद के सहजनवा तहसील अंतर्गत पाली ब्लॉक के नारंग पट्टी गांव में पंचायत चुनावों के दौरान प्रत्याशियों की सक्रियता और चुनाव के बाद उनकी निष्क्रियता एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। चुनाव आते ही अनेक प्रत्याशी गांव की गलियों में सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन चुनाव बीतते ही अधिकांश विपक्षी उम्मीदवार गायब हो जाते हैं, जिससे सत्ता पक्ष को मनमानी करने का अवसर मिल जाता है। नारंग पट्टी गांव में पंचायत चुनावों के दौरान प्रत्याशी गांव के हर कोने में पहुंचते हैं, लोगों की समस्याएं सुनते हैं, और उन्हें समाधान का आश्वासन देते हैं। हालांकि, चुनाव समाप्त होते ही अधिकांश विपक्षी उम्मीदवार गांव से गायब हो जाते हैं, जिससे सत्ता पक्ष को बिना किसी विरोध के कार्य करने का अवसर मिल जाता है। चुनाव के बाद सत्ता पक्ष को गांव में बिना किसी विरोध के कार्य करने का अवसर मिल जाता है, विपक्ष की निष्क्रियता इस स्तर की है कि वह सिर्फ अपना धन विस्तार करने में लगे हुए रहते हैं और समय आने पर आम जनमानस का कष्ट दूर करने का भरोसा दिलाते रहते हैं। विपक्ष की निष्क्रियता के कारण गांव की समस्याएं अनदेखी रह जाती हैं, और विकास कार्यों में पारदर्शिता की कमी होती है। गांव के निवासी चाहते हैं कि चुने गए प्रतिनिधि और विपक्षी नेता चुनाव के बाद भी सक्रिय रहें, गांव की समस्याओं के समाधान के लिए आवाज़ उठाएं एवं समाधान की कोशिश करें विकास कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखें स्थानीय जनता का मानना है यदि विपक्ष सक्रिय रहेगा तो सत्ता पक्ष को भी जवाब दे बनाना संभव होगा। गांव की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक है की पंचायत चुनाव के बाद भी सभी प्रतिनिधि सक्रिय रहें, गांव की समस्याओं की समीक्षा करें एवं उनके समाधान की प्रक्रिया में पूर्ण रूप से आगे रहे इसके लिए गांव के निवासियों को भी जागरूक होना होगा और अपने जनप्रतिनिधियों से जवाब देही की मांग करनी होगी, गांव में खत्म हो रही साख को बचाने हेतु ऐसे पदाधिकारी का चयन करें जो संगठन की शक्ति में विश्वास करता हो और ग्राम सभा के व्यक्तियों के मान सम्मान के लिए लड़ता हो।

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