भगवत प्राप्ति के लिए भगवत भक्ति भी जरूरी है, आचार्य धरणीधर_________

संत कबीर नगर 23 मई 2025,
डेलुआडिह में आयोजित श्रीमद्भागवत के षष्ठ दिवस अयोध्या धाम से आए प्रख्यात कथा प्रवक्ता आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा गोपीजनों के साथ भगवान की श्रेष्ठतम महारास लीला का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि रास तो जीव का परब्रह्म ईश्वर के साथ मिलन की कथा है। आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति का फल प्राप्त होता है तो उसे रास कहा जाता है। कथा प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी भक्तों को खूब आनंदित किया। संजयानंद ने कहा कि जो भक्त ईश्वर प्रेम में आनंदित होते हैं और श्रीकृष्ण तथा रूक्मिणी के विवाह में शामिल होते हैं, उनकी समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा जब जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाता है। लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है, उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान रूक्मणि के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया इस अवसर पर मुख्य यजमान वरिष्ठ पत्रकार हरिशचंद्र दूबे,अभय नाथ दूबे,कुबेर नाथ दूबे,केदारनाथ दूबे,राकेश दूबे, गणेश दूबे,रमेश दूबे,बंट्टी दूबे,विपिन दूबे,रजत दूबे,ग्राम प्रधान संजय शुक्ल,शुशील राय,फूलचंद राय, मनीष पाण्डेय,अमन,रौनक,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!