ज्येष्ठ मास के मंगलवार पर विशेष: महामंत्री राघवेंद्र त्रिपाठी ने दी शुभकामनाएं, बताया हनुमान जी की शक्ति का अद्भुत रहस्य___________
संवाददाता आनंदधर द्विवेदी
ज्येष्ठ मास के मंगलवार का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत विशेष होता है। इस वर्ष पड़ रहे पाँच मंगलवारी योग को लेकर “अखिल भारतीय पत्रकार महासभा के महामंत्री राघवेंद्र त्रिपाठी” ने समस्त जीव जगत को शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। उन्होंने कहा कि यह समय हनुमान जी की उपासना व शक्ति-स्मरण का श्रेष्ठ अवसर है।
हनुमान जी को अजर, अमर और अविनाशी माना जाता है। वे कलियुग के जागृत देव हैं और समस्त सात्विक शक्तियों के संचालक हैं। श्री त्रिपाठी ने हनुमान जी की शक्ति की तुलना एक प्राचीन किंवदंती के माध्यम से करते हुए कहा कि दस हजार हाथियों का बल एक दिग्गज हाथी में, दस हजार दिग्गज हाथियों का बल एक ऐरावत में, दस हजार ऐरावत हाथियों का बल एक इंद्र में, और दस हजार इंद्रों का बल हनुमान जी की छोटी उंगली में निहित है। फिर भी हनुमान जी शांत, विनम्र और परोपकारी हैं। रामायण व रामचरितमानस में उनके बल, भक्ति, सेवा और पराक्रम का अनगिनत बार वर्णन हुआ है। माता सीता की खोज से लेकर संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी का जीवन बचाना, रावण की लंका को जलाना, रामसेतु निर्माण में भागीदारी ये सभी उनके अद्वितीय योगदान हैं। उनके स्तुति श्लोक में लिखा गया है: “अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपति प्रिय भक्तम वाताजात्म नमामि। यह मंगलवार केवल व्रत या अनुष्ठान का दिन नहीं आत्मबल और निष्ठा को जागृत करने का भी पर्व है। ज्येष्ठ मास के मंगलवार का विशेष महत्व है और इस वर्ष पांच मंगलवारों का योग बना है जो भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। दुष्ट शक्तियों का दामन होगा एवं सात्विक शक्तियों का उत्थान होगा। प्रकृति के उत्थान एवं पतन में श्री हनुमान जी महाराज की सहायक होंगे क्योंकि भक्त वत्सल होने के साथ-साथ किसी को दुखी देखना उनके स्वभाव में शामिल ही नहीं है आज कलयुग में हनुमान जी का इतना प्रभाव है की समस्त संसार में उनका गुणगान होता है। श्री हनुमान जी महाराज कहीं न कहीं पर तो हैं विशेष रूप से कहा जाता है कि वह प्रतिदिन अयोध्या आते हैं रहते हैं उनकी आभा समस्त आकाशगंगाओं सहित भूमंडल को प्राप्त होती है अंतरिक्ष को एक खिलौने की भांति समझने वाले श्री बजरंगबली महाराज समस्त जीव जगत की भलाई करने की कृपा करें एवं जगत में शांति व्याप्त करने की कृपा करें। ऐसा तभी होगा जब दुष्ट शक्तियों का दमन एवं सात्विक शक्तियों का उत्थान होगा और सात्विक शक्तियां सनातन धर्म में निहित हैं।