पुलिस विभाग से संबंधित होमगार्ड को चौकी इंचार्ज रोडवेज बस्ती द्वारा न्यायालय में रिपोर्ट भेजने के नाम पर 1 साल से दिया जा रहा धोखा
अपने ही विभाग के लोग अपनों को दे रहे धोखा क्या है इसके पीछे राज
एचडीएफसी बैंक मैनेजर को बचाने के लिए चौकी इंचार्ज रोडवेज खेल रहे नया खेल
बस्ती चौकी इंचार्ज रोडवेज द्वारा जनवरी माह में न्यायालय में भेजी गई जांच आख्या अब तक नहीं हुई प्रस्तुत मामला लगता है गोलमाल का
चार माह पूर्व न्यायालय में रोडवेज चौकी इंचार्ज उमेश वर्मा द्वारा जमा की गई विवेचना आज तक न्यायालय क्यों नहीं पहुंची क्या इसमें भी है कोई गोलमाल पुलिस विभाग पर उठता बड़ा सवाल
बस्ती जनपद के पीड़ित होमगार्ड रमाकान्त पाण्डेय पुत्र श्री हनुमान सरन पाण्डेय साकिन डूड़ी कैथोलिया थाना दुबौलिया जिला बस्ती के निवासी है जिसका खाता वेतन हेतु विभाग ने एचडीएफसी बैंक शाखा रोडवेज चौराहा बस्ती में खुलवाया था जिसका खाता सं0 50100506446026 है जिसका डेबिट कार्ड सं0 6521660250149125 है प्रार्थी के खाते से विगत दिनांक 06/09/2023 को 25673 रूपया निकल गया था बैंक ने दिनांक 04/09/2023 को प्रार्थी के उक्त खाते का यूपीआई ट्रांजैक्शन बंद कर दिया गया था प्रार्थी एचडीएफसी बैंक शाखा कप्तानगंज पर गया लेकिन प्रार्थी का यूपीआई ट्रांजैक्शन चालू नहीं हो पाया प्रार्थी के खाते से दिनांक 06/09/2023 को फर्जी एटीएम से स्विच मशीन द्वारा किसी दुकान से 25673 रूपया A JIO शॉपिंग कर लिया गया प्रार्थी ने पुलिस विभाग व बैंक के तमाम अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया प्रार्थी के खाते में दिनांक 22/09/2023 को 25673 रुपया खाते में वापस आ गया प्रार्थी पैसा निकालने की कोशिश किया पर पैसा नहीं निकल पाया जब बैंक पर संपर्क किया तो बैंक द्वारा कहा गया कि आपके खाते की जांच हो रही है जांच खत्म होने पर आपको पैसा मिल जाएगा बैंक कर्मचारियों ने बताया 25673 रुपया होल्ड कर दिया गया है दिनांक 18/11/2023 को जांच समाप्त हो गई तो बैंक अधिकारियों द्वारा 25673 रुपया प्रार्थी के खाते से काट लिया गया प्रार्थी जिसके खिलाफ कोर्ट में 156 (3) CRPC दाखिल किया जिसमें मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना करने का आदेश हुआ दिनांक 11/05/2024 को मु0 अ0 0210/24 धारा 420 406 IPC मैं दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और जिसकी विवेचना रोडवेज चौकी के दरोगा को मिला विवेचना मिलने के बाद उनका ट्रांसफर हो गया पुनः विवेचना रोडवेज चौकी के दरोगा उमेश वर्मा को मिला दरोगा उमेश वर्मा बैंक अधिकारियों के साजिश में आकर फाइनल रिपोर्ट लगाने के फिराक में है जबकि बैंक अधिकारियों द्वारा यूपीआई ट्रांजैक्शन 04/09/2023 को बन्द कर दिया गया था प्रार्थी के खाते में सैलरी दिनांक 05/09/2023 को लगभग शाम 8:00 बजे आया और पैसा प्रार्थी के खाते से 06/09/2023 को स्विच मशीन द्वारा एटीएम सं0 ××××9125 A JIO शॉपिंग किया गया है प्रार्थना पत्र देने के बाद दिनांक 22/09/2023 को पैसा वापस आ गया और दिनांक 18/11/2023 को बैंक द्वारा पैसा पुनः काट लिया गया प्रार्थी का यूपीआई ट्रांजैक्शन बैंक द्वारा बन्द करना और खाते में पैसा वापस आने के बाद पुनः काटना यह प्रमाणित करता है की बैंक के साजिश से ही पैसा निकाला गया है इसमें बैंक पूरी तरह से शामिल रहा है कोर्ट द्वारा जांच कर आख्या तलब कर मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश किया तथा कोर्ट द्वारा प्रगति आख्या मांगा गया विवेचक द्वारा कोर्ट को रिपोर्ट भेजकर कहा गया साइबर क्राइम की मदद से विवेचना की जा रही हैं जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत किया जिसमें विवेचक महोदय द्वारा रिपोर्ट लगाया गया अन्तिम रिपोर्ट न्यायालय में दिनाक 26-01-25 को प्रेषित किया जा चुका है। कोर्ट में देखा गया तो कोई रिपोर्ट न्यायालय में नहीं आई है जिसमें दिनांक 17/04/2025 को पुन: कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया कोर्ट ने आख्या तलब करने का आदेश जारी किया लेकिन विवेचक महोदय द्वारा कोई आख्या नहीं दिया गया उक्त प्रार्थना पत्र को पुनः कोर्ट में पेश कराया गया तो कोर्ट द्वारा पुनः उसी प्रार्थना पत्र पर केस डायरी व आख्या तलब करने का आदेश किया है जो विवेचक महोदय के पास पेंडिंग है। विवेचक महोदय द्वारा कोर्ट व वादी को मुकदमा में झूठ पर झूठ बोलकर न केवल गुमराह किया जा रहा है। बल्कि विवेचक महोदय द्वारा अभियुक्तो के प्रभाव में आकर कोई कार्यवाही नहीं जा की रही है। कार्यवाही 1 वर्ष से लंबित है। इन सब के पीछे बस्ती जनपद के चर्चित चौकी इंचार्ज रोडवेज उमेश वर्मा का नाम इस समय सुर्खियों में है क्योंकि उमेश वर्मा ने 1 वर्ष से फाइल को दबाकर अपने ही विभाग के पीड़ित कर्मचारी को और पीड़ित करने का कार्य किया ऐसे में यदि पीड़ित होमगार्ड को जब न्याय के लिए जब दर दर भटकना पड़ रहा है तो चौकी इंचार्ज रोडवेज द्वारा ऐसे कितने पीड़ित व्यक्तियों का उत्पीड़न किया जा रहा होगा विभाग या तो इसका अंदाजा लगाने में असफल है या विभाग के लोग भी उनके काले कारनामों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं अब देखना यह है अपने विभाग के अधीनस्थ होमगार्ड का न्यायिक उत्पीड़न करने के जुर्म में विभाग इनको सजा देता है या खुला छोड़कर और ऐसे तमाम लोगों के साथ ना इंसाफी करने की खुली छूट देता है यह तो आने वाला वक्त और समय बताएगा फिलहाल होमगार्ड विभाग के पीड़ित को देखना है उमेश वर्मा द्वारा न्याय मिलता है या पीड़ा पर पीड़ा मिलता है वैसे तो उमेश वर्मा न्यायालय को भी गुमराह करने में माहिर दिखाई पड़ते हैं